राज्यसभा ने कल देर रात ‘महिला आरक्षण विधेयक’ नारी शक्ति वंदन अधिनियम, पारित कर दिया, जिससे महिलाओं को संसद में 33% आरक्षण मिलना सुनिश्चित हो गया है। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था।
इस विधेयक के पारित होने के बाद अब इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा।
कानून बनने के बाद, संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण होगा। इससे महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित होगी और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने का अधिक अवसर मिलेगा।
इस विधेयक के पारित होने का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक महिलाओं को सशक्त बनाएगा और देश के विकास में उनकी भूमिका को बढ़ाएगा।
इस विधेयक के पारित होने से महिलाओं को राजनीति में भागीदारी करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने का अधिक अवसर मिल पाएगा। इससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास में महिलाओं की भूमिका बढ़ पाएगी।
अगली प्रक्रिया
महिला आरक्षण विधेयक के राज्यसभा में पारित होने के बाद, इसे अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद, यह विधेयक कानून बन जाएगा।
कानून बनने के बाद, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसमें संसद के दोनों सदनों के चुनावों के लिए मतदाता सूची में महिलाओं के लिए अलग से आरक्षित सीटों का निर्धारण और महिला उम्मीदवारों के लिए नामांकन प्रक्रिया आदि शामिल हैं।
ECI द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाने के बाद, अगले संसदीय चुनावों में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किया जाएगा।
महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने से महिलाओं को राजनीति में भागीदारी करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होने का अधिक अवसर मिलेगा। इससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास में महिलाओं की भूमिका बढ़ पाएगी।
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