बिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े सोमवार को जारी कर दिए गए। बिहार सरकार के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने यह रिपोर्ट जारी की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने बताया कि जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ के करीब है।
रिपोर्ट के मुताबिक अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई!”
उन्होंने लिखा, “जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी और दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी।”
“इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए काम किया जाएगा।”
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने एक्स पर लिखा, “आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं। बीजेपी की अनेकों साजिशों, क़ानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज़ किया।”
“ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और ग़रीबों के समुचित विकास और तरक्की के लिए समग्र योजना बनाने और हाशिए के समूहों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए नज़ीर पेश करेंगे।”
“सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे।”
बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लिखा, “बिहार के जाति आधारित सर्वे के आँकड़े सावर्जनिक!ऐतिहासिक क्षण!…दशकों के संघर्ष का प्रतिफल!!….अब सरकार की नीतियाँ और नीयत दोनों ही जाति आधारित सर्वे के इन आँकड़ों का सम्मान करेंगे।”
भाजपा ने आंकड़े को भ्रम फैलाने वाला बताया
वहीं, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने जाति आधारित सर्वे के आंकड़े को भ्रम फैलाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में जातिवाद बहुत गहरा है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गिरिराज सिंह ने भी जाति आधारित सर्वे के आंकड़े को भ्रम फैलाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में जातिवाद बहुत गहरा है।
जाति आधारित सर्वे के आंकड़े क्या कहते हैं?
जाति आधारित सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में जातिवाद अभी भी बहुत गहरा है। सर्वे के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी में अति पिछड़ा वर्ग का हिस्सा सबसे ज्यादा है, जो 27.12 प्रतिशत है। इसके बाद अत्यन्त पिछड़ा वर्ग का हिस्सा 36.01 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की
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