सोनिया गांधी(Sonia Gandhi)
सोनिया गांधी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष, भारतीय राजनेता एवं भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे स्व० राजीव गांधी की पत्नी हैं। वर्तमान में वह उत्तरप्रदेश के रायबरेली से 17 वीं लोकसभा की सदस्य हैं। सोनिया गांधी ने पति की हत्या के बाद कांग्रेस पार्टी की बागडोर संभाली थी। सोनिया गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी। पति की मौत के बाद इन्होंने सत्ता में आने से इनकार किया था लेकिन वरिष्ठ नेताओं के आग्रह के बाद साल 1998 में पार्टी के नेता के रूप में कांग्रेस का नेतृत्व किया।
निजी जीवन –
सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर 1946 को लुसियाना, वेनेटो, इटली में हुआ था। इनका वास्तविक नाम एंटोनिया एडविजे अल्बिना मेनो था। इनका जन्म एक रोमन कैथोलिक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम स्टेफानो मेनो व माता का नाम पाओला मेनो है। इनके पति का नाम स्व० राजीव गांधी है जो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे। इनके दो बच्चे राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी राहुल गांधी व प्रियंका गांधी दोनों ही लोग राजनीति में सक्रिय हैं। प्रियंका गांधी का विवाह रॉबर्ट वाड्रा से हुआ है जो की कारोबारी हैं। इनके दो बच्चे (एक बेटी -एक बेटा) मिराया और रेहान हैं वहीं राहुल गांधी अभी अविवाहित हैं। इनके पास 1946-1983 तक इटली की नागरिकता रही और इन्होंने 1983 में भारत की नागरिकता ग्रहण की। 1965 में उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। राजीव गांधी तब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे। 1968 में उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों से राजीव गांधी के साथ विवाह किया। 1982 तक राजनीति में शामिल होने से पहले राजीव गांधी एक पेशेवर एयरलाइन पायलट थे।
शिक्षा –
सोनिया गांधी ने 13 साल की उम्र में ओर्बसानो में एक कैथोलिक स्कूल में पढ़ाई की थी। इसके बाद अंग्रेजी और इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए वो 1964 में कैम्ब्रिज चली गईं थीं।
सोनिया गांधी ने कैम्ब्रिज, यूके विदेशी भाषाओं से अंग्रेजी भाषा में सर्टिफिकेट कोर्स किये जो इस प्रकार हैं –
(i) इस्टिटूटो सांता टेरेसा, वाया सांता टेरेसा 10, ट्यूरिन, इटली से 1964 में विदेशी भाषाओं में तीन साल का कोर्स (अंग्रेजी और फ्रेंच) किया।
(ii) 1965 में लेनोक्स कुक स्कूल, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने अंग्रेजी में सर्टिफिकेट कोर्स पूरा किया।
राजनीतिक जीवन –
सोनिया गांधी का राजनीतिक जीवन तब आरम्भ हुआ जब संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री बने। इस दौरान सोनिया गांधी सक्रिय रूप से राजनीति में दखल नहीं करती थीं। लेकिन वह राजीव गांधी की आधिकारिक परिचारिका थीं और उनके साथ कई राजकीय यात्राओं में भी शामिल हुईं। साल 1984 में जब निर्वाचन क्षेत्र अमेठी में राजीव गांधी के खिलाफ उनकी भाभी मेनका गांधी मैदान में उतरीं तो सोनिया गांधी ने पति के पक्ष में व्यापक प्रचार-प्रसार किया। 1991 में जब राजीव गांधी की हत्या हुई तो सोनिया गांधी टूट गईं उन्होंने निर्णय लिया की वह राजनीति नहीं करेंगी। उनके इस निर्णय से कांग्रेस में हलचल मच गई और कई वरिष्ठ नेताओं के समझाने के बाद सोनिया गांधी राजनीति में सक्रिय हुईं।
उन्होंने 1997 में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार प्राथमिक सदस्य के रूप में हिस्सा लिया और 06 अप्रैल 1998 को सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और उन्होंने पूर्ण रूप से कांग्रेस की कमान संभाली व कांग्रेस को मजबूत करने में जुट गईं। यह 1998 से 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष रही हैं। 1998 ऐसा दौर था जब सोनिया गांधी को न राजनीति के जाल बुनने आते थे और न ही वह हिंदी बोलने में निपुण थीं। 1999 में पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता शरद पवार , पीए संगमा , और तारिक अनवर ने उनके विदेशी मूल के होने पर सवाल उठाया और उनके प्रधानमंत्री बनने की बात पर आपत्ति जताई। उन्होंने पार्टी नेता होने के नाते इस्तीफे की बात कही और लोग उनके समर्थन में खड़े हुए। तीनों लोगों के इस व्यव्हार के कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया।
इसी दौरान 1999 में सोनिया गांधी ने बेल्लारी, कर्नाटक और अमेठी (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा चुनाव लड़ा । बेल्लारी व कर्नाटक में उन्हें जीत हासिल हुई। लेकिन अमेठी में वह हार गईं। बेल्लारी में उन्होंने भाजपा नेता, सुषमा स्वराज को हराया था। इस जीत के बाद सोनिया गांधी मजबूत नेता के रूप में उभरीं।
1999 में उन्हें 13 वीं लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। इस दौरान केंद्र में एनडीए की सरकार थी। साल 2003 में उन्होंने एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव बुलाया।
साल 2004 तक सोनिया गांधी की राजनीतिक समझ काफी विकसित हो गई थी। उन्होंने 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए उम्दा रणनीति बनाई और प्रभावी गठबंधन तैयार कर केंद्र में सत्ता परिवर्तन किया। केंद्र में यूपीए की सरकार बनी और जब सोनिया के प्रधानमंत्री बनने की बात आई तो एनडीए ने इसका यह कहकर विरोध किया कि वह एक विदेशी हैं। 2004, 2009,2014 व 2019 में रायबरेली की जनता ने इनपर विश्वास जताया और यहां से यह लोकसभा सदस्य के रूप में चुनीं गईं। वह यहां से लगातर 4 बार सांसद चुनीं गई हैं। वहीं वर्तमान में यह 17 वीं लोकसभा की सदस्य हैं। सोनिया गांधी ने 17 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में 23 मई 2019 को पदभार ग्रहण किया।
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