वेद क्या है – वेद आध्यात्म ज्ञान का मूल आधार है। वेदों में ईश्वर का जीवंत रूप है। यह ऋषियों के तप का प्रतिफल है उनकी चेतना से निकला आध्यात्मिक ज्ञान है। जो कलयुग में मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है। वेद भारतीय संस्कृति की धरोहर है जिसे ज्ञान का भंडार कहा जाता है। धर्मात्माओं का कहना है कि हजारों वर्ष पूर्व ऋषि मुनियों ने घोर तप किया अपने तप के प्रताप से उन्हें ईश्वर की आवाज सुनाई दी और उन्होंने ईश्वर का प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया। वेद ईश्वर का ज्ञान हैं जिन्हें महान ऋषियों ने महसूस किया और अपनी आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन करने हेतु चार अलग-अलग भागों में विभक्त कर दिया।
वेद मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते हैं और उसे शांति, अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं वेद का समान्य अर्थ ज्ञान से है। यदि आपको वेद के मूल को समझना है तो आपको इहम और परम को जानना आवश्यक है।
इहम इसका सम्बन्ध हमारी भौतिक क्रियाओं से है। इसमें प्रेम, शांति, अहिंसा, लगाव, सदाचार का भाव निहित है। वहीं परम का सम्बन्ध भौतिक क्रियाओं के त्याग से है। परम हमें यह सिखाता है कि हम सांसारिक मोह – माया छोड़कर आध्यात्म से कैसे जुड़ें।
वेद की उत्पत्ति – वेद की उत्पत्ति कैसे हुई और इसके रचयिता कौन हैं इस बात का अभी तक कोई पता नहीं लगा पाया है। धार्मिक जानकारों के अनुसार वेद की रचना ब्रह्मा द्वारा की गई है। लेकिन कलयुग में वेद व्यास को वेद का रचयिता माना जाता है। वहीं लोग इसके ज्ञान को अर्जित कर सकें इसलिए इसका अनुवाद बीते कई सालों से जानकारों द्वारा किया जा रहा है। कहते हैं वेद की उत्पत्ति तब हुई जब महान ऋषियों ने ज्ञान की खोज के लिए तप किया और उन्हें ईश्वर की आजाव सुनाई देने लगी। ऋषियों के कानों में ईश्वर की ध्वनि आई और वेदों का निर्माण हुआ इसलिए वेदों को श्रुति भी कहा जाता है।
वेद के प्रकार –
वेद व्यास ने वेदों को चार भागों में विभक्त किया है –
1-ऋग्वेद
2-यजुर्वेद
3-साम वेद
4-अथर्ववेद
ऋग्वेद – ऋग्वेद का अर्थ है स्तुति। ऋग्वेद में इंद्र, अग्नि, रुद्र और दो अश्विनी देवताओं, वरुण, मरुत, सवित्रु और सूर्य जैसे देवताओं की स्तुति है।
यजुर्वेद – यजुर्वेद का अर्थ है कर्मकांड। यजुर्वेद में देवताओं को किए जाने वाले विभिन्न अनुष्ठान और बलिदान शामिल हैं। जब किसी मंत्र का जाप किया जाता है, और उसकी शक्ति का अनुभव किया जाता है।
साम वेद-
साम वेद- का अर्थ है गीत। सामवेद में गाए जाने वाले श्लोक हैं। इन छंदों को उनके मूल रूप में 7 स्वरों का उपयोग करके बनाया गया है: सा, रे, गा, मा, पा, ध, नि जो भारत में मौजूद शास्त्रीय संगीत का आधार हैं।
अथर्ववेद-
अथर्ववेद में सांसारिक सुख प्राप्त करने के लिए उपयोगी कर्मकांड हैं। इसमें रोगों का वर्णन है, उन्हें कैसे ठीक किया जाए, पापों और उनके प्रभावों को कैसे दूर किया जाए, और धन प्राप्त करने के साधन के बारे में बताया गया है।
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