पंडित गोविंद बल्लभ मुख्य बातें –
नाम- पंडित गोविंद बल्लभ
जन्म – 10/09/1887
जन्म स्थान- उत्तराखंड अल्मोड़ा
पिता- मनोरथ पंत
माता-गोविंदी बाई
पत्नी- पता नहीं
पेशा- वकील
लोकप्रिय- उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में
शिक्षा- इलाहाबाद विश्वविद्यालय
पंडित गोविंद बल्लभ पंत भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, देशभक्त, आधुनिक उत्तरप्रदेश के सूत्रधार एवं महान राजनीतिज्ञ थे। उत्तरप्रदेश की राजनीति में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार कार्य किया है। यह जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति थे। इनका एक मात्र उद्देश्य देश के प्रत्येक नागरिक को उसका हक दिलाना और समाज मे एकता को स्थापित करना था।
निजी जीवन-
पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। यह एक सामान्य परिवार में जन्मे थे। इनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री मनोरथ पंत और माता का नाम गोविंदी बाई था। इनके पिता का देहांत इनके जन्म के कुछ दिनों बाद हो गया था। पिता की मृत्यु के बाद इनका लाल-पालन इनके नाना बद्री दत्त जोशी ने किया था। इनका एक बेटा कृष्ण चंद्र पंत एवं दो बेटियां लक्ष्मी और पुष्प थीं। यह पेशे से वकील थे। लेकिन इनकी रुचि साहित्यिक, समाज सेवा और न्याय व्यवस्था को बेहतर बनाने में रहती थी।
शिक्षा-
पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने गृह राज्य अल्मोड़ा से प्राप्त की। शुरुआती पढाई के बाद इन्हें छात्रवृत्ति मिली और यह शिक्षा ग्रहण करने के लिए इलाहाबाद चले गए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इन्होंने कानून की पढ़ाई की। आचार्य नरेंद्र देव, डॉ कैलाश नाथ काटूज इनके सहपाठी रहे हैं। पढाई के दौरान ही यह समाज सेवा के प्रति समर्पित हो गए थे और अपने समाजसेवी स्वभाव के कारण इनकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी।
पंडित गोविंद बल्लभ के राजनीतिक कार्य का दायर-
अपने करियर की शुरुआत इन्होंने रानीखेत में वकालत के साथ शुरू की। यहां यह कुछ दिन ही रहे और बाद में काशीपुर शिफ्ट हो गए। काशीपुर में यह डिप्टी कलक्टर की कोर्ट में पेश हुआ करते थे। यह 6 महीने नैनीताल और 6 महीने काशीपुर में रहते थे।
1921 में यह स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए। इन्होंने इस समय असहयोग आंदोलन में भाग लिया। यह राष्ट्रीय आंदोलन में कई दफा जेल गए। 1945 में इन्हें सभापति हिंदी साहित्यिक सम्मेलन पूना में प्रदेशीय कांग्रेस कमेटी का जनरल सिक्रेटरी नियुक्त किया गया। इन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रशासन में शिक्षा, श्रम, वित्त तथा गृह विभागों में अग्रणीय कार्य किया और जेलों का सुधार करने के लिए यह सदैव प्रयासरत रहे।
यह 1936 में उत्तरप्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे है। इसके साथ ही सर्वप्रथम विधान सभा की स्थापना के समय वर्ष 1937 में उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए। यह निरंतर वर्ष 1946, 1952, 1957 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य निर्वाचित होते रहे। वहीं साल 1937-39 एवं वर्ष 1946 में पं0 गोविन्द बल्लभ पंत के मंत्रिमण्डल में मंत्री बनें।
गोविंद बल्लभ पंत को पहली बार 28 दिसम्बर, 1954 से 9 अप्रैल, 1957 तथा दूसरी बार 10 अप्रैल, 1957 से 6 दिसम्बर, 1960 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं यह राजस्थान के राज्यपाल भी रहे हैं।
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