वरुण गांधी
वरुण गांधी भाजपा नेता एवं उत्तरप्रदेश के पीलीभीत से 17 वीं लोकसभा के सदस्य हैं। यह गांधी-नेहरू परिवार के सदस्य हैं। यह भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते और पंडित जवाहर लाल नेहरू के पर-पोते हैं। पारिवारिक विवाद के कारण इनकी मां ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और भाजपा में शामिल हो गईं। वरुण गांधी आए दिन जनता के मुद्दे उठाते नजर आते हैं और अपने प्रखर सवालों से केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते रहते हैं।
निजी जीवन –
वरुण गांधी का जन्म 13 मार्च 1980 को नई दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व० संजय गांधी है। इनकी माता का नाम मेनका गांधी है जो की बीजेपी नेता एवं सुल्तानपुर से भाजपा सांसद हैं। वरुण गांधी का विवाह यामिनी गांधी के साथ हुआ है। इनकी एक बेटी है जिसका नाम अनसूया गांधी है। यह पेशे से लेखक और कवि हैं। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इनकी चाची हैं वहीं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी इनके चचेरे भाई-बहन हैं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद वरुण गांधी की मां ने पारिवारिक विवादों के चलते कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा परिवार का हिस्सा बन गईं थीं ।
शिक्षा –
वरुण गांधी ने अपनी आरम्भिक शिक्षा दिल्ली के शिक्षा मॉडर्न स्कूल से की। चौथी कक्षा के बाद उनकी पढ़ाई ऋषि वैली स्कूल, आंध्रप्रदेश में हुई। इसके बाद यूके सेकंडरी परीक्षा बोर्ड जीसीएसई और ए स्तर की परीक्षा के लिए दि ब्रिटिश स्कूल, नई दिल्ली चले गए। उन्होंने अपनी बीएसई इकोनॉमिक्स लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस द्वारा चलाए जा रहे विश्वविद्यालय ऑफ लंदन एक्सटर्नल सिस्टम से पूरी की। अब तक वे ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज लंदन से आठ वैकल्पिक विषय को पूरे कर चुके हैं।
वरुण गांधी लेखन क्षेत्र में अपनी अनोखी पहचान बनाना चाहते हैं। उन्होंने महज 20 वर्ष की आयु में ही अपनी पुस्तक ‘द ऑथनेस ऑफ सेल्फ’ लिखी, जिसका लोकार्पण देश के कई प्रमुख नेताओं ने किया। वे कविताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा और बाहरी संबंधों पर भी लेख लिखते रहते हैं। लेखन कार्य में वरुण का हाथ काफी साफ है और वह समाज हित हेतु अपनी कलम से आवाज उठाते रहते हैं।
राजनीतिक जीवन –
वरुण गांधी को राजनीति में सक्रिय रूप से 2004 में देखा गया। इस साल वरुण गांधी को भाजपा द्वारा मुख्य प्रचारक के तौर पर उतारा गया और इसी साल उन्हें भाजपा की कार्यकारिणी बैठक में शामिल किया गया। वरुण गांधी अपने संस्कारों के लिए जाने जाते हैं। जब वह बीजेपी की ओर से मुख्य प्रचारक बनाए गए तो उन्होंने यह बात साफ़ कर दी थी कि वह अपनी चाची और चचेरे भाई-बहन के विरोध में कोई बयान नहीं देंगे। भाजपा ने उनकी बात का मान रखा था।
वहीं साल 2009 में निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत से वरुण गांधी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। वरुण भाजपा की उम्मीदों पर खरे उतरे और अपने प्रतिद्वंदी वीएम सिंह को हराकर जीत दर्ज की और 15 वीं लोकसभा के सांसद बनें। साल 2011 में वह लोकपाल बिल का समर्थन करते दिखे वहीं जब मौजूदा सरकार ने अन्ना हजारे को अनशन की अनुमति नहीं दी तो उन्होंने उन्हें अपने बंगले पर अनशन करने के लिए प्रस्ताव दिया।
उन्होंने संसद में जनलोकपाल बिल पेश किया वहीं भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना हजारे के आंदोलन में आम आदमी की तरह शामिल हुए। साल 2013 में भाजपा ने इन्हें सबसे कम उम्र का महासचिव नियुक्त किया। वहीं 2013 में इन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा का प्रभारी बनाया गया। अपने दयालु स्वभाव के लिए विख्यात वरुण गांधी ने 2013 में अपने वेतन खाते से 1 लाख रुपये का चेक विधान सभा के पूर्व जनसंघ सदस्य स्वर्गीय भगवती प्रसाद के परिवार के सदस्यों को सौंप दिया था। वरुण गांधी के संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि इन्होंने अपने धन का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की गतिविधियों में विकास के लिए किया।
वरुण गांधी ने 2014 में अपने चुनावी अभियान की शुरुआत सुल्तानपुर से की। वहीं भाजपा प्रत्याशी के रूप में सुल्तानपुर से अमिता सिंह को हराया और अपनी जीत दर्ज कर 16 वीं लोकसभा के सदस्य बने। उन्होंने मार्च 2016 में लोकसभा में लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक पेश किया। वहीं 2019 में भाजपा उम्मीदवार के रूप में पीलीभीत से मैदान में उतरे और जीत दर्ज कर तीसरी बार लोकसभा सांसद बने। वरुण गांधी ने 17 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में 23 मई 2019 को पदभार ग्रहण किया।
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