केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन
केशव प्रसाद मौर्य उत्तरप्रदेश के बड़े नेताओं के रूप में उभरे हैं। यह पिछड़ों के नेताओं के रूप में विख्यात हैं। बीजेपी नेता केशव प्रसाद मौर्य पर अटूट विश्वास करते हैं। यह उत्तरप्रदेश के वर्तमान उपमुख्यमंत्री है। योगी सरकार ने साल 2017 में भी इनपर विश्वास जताया था और इन्हें उत्तरप्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया था। राजनेताओं का कहना है कि यह बीजेपी के लिए ओबीसी वोटबैंक को साधने में समर्थ रहे हैं। साल 2022 के चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार पल्लवी पटेल से हार का सामना करना पड़ा।
निजी जीवन-
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को उत्तरप्रदेश के कौशाम्बी के सिराथु में हुआ था। इनके पिता का नाम श्याम लाल मौर्य व माता का नाम धनपति देवी मौर्य है। इनका विवाह राजकुमारी देवी मौर्य के साथ हुआ है। जो पेशे से जीवन जयोति में निदेशक हैं। इनके दो पुत्र हैं। यह एक सामान्य परिवार से सम्बंधित हैं। इनके पास वर्तमान में तकरीबन 9 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
शिक्षा-
केशव प्रसाद मौर्य की आरंभिक शिक्षा इनके गृह राज्य से पूर्ण हुई है। इसके बाद इन्होंने हिंदी साहित्य में बीए की परीक्षा पास की है।
केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन-
केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ हुई। यह 18 वर्ष तक बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद के प्रचारक रहे हैं। इन्होंने रामजन्म भूमि, गोरक्षा, व हिन्दू रक्षा के कई आंदोलनों में हिस्सा लिया है और इन्हें जेल भी जाना पड़ा है।
साल 2002 में केशव प्रसाद मौर्य राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय हुए और संगठन के लिए काम करने लगे। 2002 में भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य पर विश्वास जताया और इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी अतीक अहमद के खिलाफ मैदान में उतार दिया। इस चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को हार मिली। यह महज 7 हजार वोट पर सिमट गए। लेकिन साल 2007 में पुनः भाजपा ने इन्हें इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा और इसबार केशव प्रसाद मौर्य को पुनः हार का सामना करना पड़ा।
केशव प्रसाद मौर्य का विश्वास अटूट रहा। यह बीजेपी के लिए समर्पित रहे और साल 2012 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन्हें गृह क्षेत्र सिराथु से अपना प्रत्याशी बनाया। इस बार केशव प्रसाद मौर्य को जीत हासिल हुई और यह विधायक बने। इस बार केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर से चुने गए थे।
साल 2013 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केपी कॉलेज में आए ईसाई धर्म प्रचारक का विरोध करने के मामले में पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हुए। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य को अपना प्रत्याशी घोषित किया। यह फूलपुर से चुनाव लड़े और जीत हासिल कर संसद पहुंचे। फूलपुर कांग्रेस का गढ़ रहा है। केशव की जीत ने यहां बीजेपी का वर्चस्व स्थापित किया।
2016 से 2016 तक यह बीजेपी सांसद के रूप में कार्यरत रहे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव ने जब बीजेपी ने इतिहास रचा और उत्तरप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनीं तो माना जा रहा था कि वह उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी और केशव प्रसाद मौर्य को उत्तरप्रदेश का उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया। केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार उपमुख्यमंत्री की शपथ 19 मार्च 2017 को ली थी।
वहीं साल 2022 के विधानसभा चुनाव में यह भाजपा प्रत्याशी के रूप में सिराथु से मैदान में उतरे। इस चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी पल्लवी पटेल से हार का सामना करना पड़ा।लेकिन योगी सरकार ने उनपर विश्वास रखा। केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए लेकिन उन्हें पुनः उत्तरप्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इस बार योगी कैबिनेट में केशव प्रसाद मौर्य को ग्राम विकास एवं समग्र विकास, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की कमान सौंपी गई।
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