सनातन ज्ञान- हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व है। कहते हैं अगर कोई विधि पूर्वक ईश्वर की आराधना करता है। मंत्रोच्चार केसाथ ईश्वर का ध्यान करता है तो उसका जीवन सकारात्मक पथ पर आगे बढ़ता है और क्लेशों ने मुक्ति मिलती है।
लेकिन आज समाज मे ईश्वर के नाम पर कई धर्म गुरु लोगों के साथ ठगी करने का काम कर रहे हैं। ब्राह्मण कुल में जन्मे बालक जिन्हें आध्यायम का ज्ञान नहीं है, जो उचित तरीके से मंत्रों का उच्चारण नहीं कर पाते हैं। वह तिलक लगाकर लोगों को भर्मित करते हैं और अपनी कमाई के लिए लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं।
ये बनावटी धर्म गुरु लोगों को बताते हैं कि उनके अलग-अलग काम के लिए उन्हें ईश्वर की अलग विधि से आराधना करनी होगी। अगर वह अपने कार्य की सिद्धि चाहते हैं तो उस कार्य के लिए उचित मंत्र का अलग से प्रयोग करें। तभी लोगों पर ईश्वर की कृपा होगी। लेकिन अगर हम आध्यायम को माने तो उसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन को ईश्वर के चरणों मे समर्पित करता है और एक मंत्र का अनुसरण कर अपना जीवन उसी के अनुकूल व्यतीत करता है। तो उसके सभी कष्टों को ईश्वर हर लेता है।
धर्म के उदाहरण-
अगर हम धर्म गुरुओं की बात करें तो उन्होंने अपने जीवन का मनोरथ पूर्ण करने के लिए मात्र एक मंत्र का अनुसरण किया और उसी से उनका कल्याण किया। महाऋषि विश्वामित्र जिन्होंने गायत्री मंत्र का जाप किया और इस मंत्र ने उनके जीवन का उद्धार किया। कालिदास ने राम का गुणगान किया तो उनका कल्याण हुआ।
अर्जुन ने कृष्ण को अपना सारथी बनाया और उनपर विश्वास किया कृष्ण ने उनका कल्याण किया। मीरा ने श्याम का जाप किया श्याम ने उनका कल्याण किया। इसी प्रकार जीवन मे उद्धार के लिए अलग-अलग मंत्र नहीं निर्मित किए गए हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन मे कल्याण के लिए सिर्फ ईश्वर की शरण मे जाना चाहिए और अपने आराध्य पर विश्वास रखते हुए उनका ध्यान करना चाहिए। क्योंकि ईश्वर पर आपका विश्वास आपका कल्याण करता है।
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