कौशल किशोर -Kaushal Kishore
उत्तरप्रदेश के मोहनलाल गंज से 17 वीं लोकसभा के सांसद कौशल किशोर अपने सामजिक कार्यों के लिए जाने जाते हैं। वह हिन्दुस्तानियों नशा छोड़ो नाम से नशा रोधी अभियान के तहत लोगों को सदैव जागरूक करते रहते हैं। वर्तमान में वह शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। कौशल किशोर को भाजपा का मजूबत नेता माना जाता है। वहीं क्षेत्र में इनकी सकारात्मक छवि है।
निजी जीवन -Kaushal Kishore
कौशल किशोर का जन्म उत्तरप्रदेश (लखनऊ) के बेगरिया गांव मोहनलालगंज में 25 जनवरी 1960 को हुआ था। इनके पिता का नाम कुल्लू प्रसाद एवं माता का नाम श्रीमती पार्वती देवी था। 4 अप्रैल 1984 में इनका विवाह जय देवी के साथ हुआ। वहीं इनके चार पुत्र आकाश किशोर (मृतक), आयुष किशोर, विकास किशोर, प्रभात किशोर हैं। कौशल किशोर अनुसूचित जाति के मजबूत नेता माने जाते हैं। उनका संबंध पासी समाज से है।
शिक्षा -Kaushal Kishore
कौशल किशोर ने 12 वीं तक की पढ़ाई चरण चरण इंटर कॉलेज से की इसके बाद उन्होंने BSC की पढ़ाई शिया डिग्री कॉलेज लखनऊ से की( पारिवारिक समस्याओं के चलते पढ़ाई पूर्ण नहीं की) । कौशल किशोर को संघर्षो का नेता कहा जाता है। इनके पिता जी किसान थे। आर्थिक स्थित बहुत बेहतर नहीं थी। लेकिन इन्होंने अपनी ईमानदारी के बलबूते पर स्वयं को स्थापित किया।
जमीनी छवि -Kaushal Kishore
कौशल किशोर को जनता का नेता और दयालु स्वाभाव का व्यक्ति कहा जाता है। इनकी छवि समाजिक कार्यकर्ता एवं किसान हितैषी नेता के रूप में बनी हुई है। यह लोगों को न्याय दिलाने के लिए सदैव प्रयास करते हैं। वही जनता से व्यक्तिगत मिलकर उनकी समस्या का हल निकालते हैं। बेटे की मौत के बाद से यह नशा के खिलाफ हैं और हिन्दुस्तानियों नशा छोड़ो नाम से नशा रोधी अभियान के तहत लोगों को शराब छोड़ने के लिए जागरूक करते रहते हैं।
राजनीतिक जीवन -Kaushal Kishore
कौशल किशोर वर्तमान में भाजपा के नेता एवं मोहनलालगंज से सांसद हैं। इन्होने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में की थी। पहली बार भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से इन्होंने मलिहाबाद से चुनाव लड़ा। यह जनता दल के प्रत्याशी जगदीश चंद्र से हार गए। वहीं साल 1991 में इन्होंने भाकपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा तब यह जनता दल के नेता अशोक कुमार से चुनाव हार गए। 1993 में इन्होंने मलिहाबाद से यूपी विधान सभा उपचुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार गौरी शंकर से हार गए। 1998 में इन्होंने सीपीआई के टिकट से आम चुनाव लड़ा और पुनः इन्हें हार का सामना करना पड़ा और साल 2001 में कम्युनिस्ट पार्टी ने इन्हें पार्टी से बाहर कर दिया।
यहीं से कौशल किशोर के राजनीतिक करियर में परिवर्तन आया। 2002 में इन्होंने स्वतंत्र उमीदवार के रूप में विधान सभा चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंदी को 25535 वोट से हराया। वह 2002 से 2007 तक यूपी के मलिहाबाद से विधायक रहे। 2003 – 2004 में उन्होंने मुलायम सिंह की सरकार में राज्य मंत्री के पद पर कार्य किया। साल 2013 में वह भाजपा परिवार का हिस्सा बन गए और साल 2014 में यह 16वीं लोकसभा के सांसद बनें। 1 सितम्बर 2014 को इन्हें श्रम और रोजगार मंत्रालय पर परामर्श समिति का सदस्य एवं गृह मामलों पर स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया।
वहीं साल 2019 में पुनः यह 17 वीं लोकसभा सांसद बनें। इसके साथ ही जब 7 जुलाई, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमण्डल में विस्तार तथा फेरबदल हुआ तो इन्हें ‘शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय में राज्य मंत्री’ बनाया गया है। साल 2022 में उन्होंने हिन्दुस्तानियों नशा छोड़ो नाम से नशा रोधी अभियान की शुरुआत की।
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