महात्मा गाँधी कौन हैं-
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। वह एक विचारक, आदर्शवादी, स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और धर्मनिरपेक्षता के प्रणेता थे। वह अपने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारत के स्वतंत्रता के लिए संगठित और असंगठित सत्याग्रह आंदोलनों की अगुआई की थी। उन्होंने अपने जीवन के दौरान अनेक उपलब्धियां हासिल कीं, जिसमें उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि भारत की स्वतंत्रता थी।
महात्मा गांधी का जीवन परिचय-
महात्मा गांधी 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे थे। उनके पिता करमचंद गांधी एक दीर्घकालीन सेवक थे और उनकी माता पुतलीबाई घरेलू काम करती थी।
गांधीजी ने अपनी शिक्षा पोरबंदर में प्रारंभ की, फिर उन्होंने ब्रिटिश सम्राटी विवेकानंद कॉलेज, मुंबई से अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने अपनी वकालत अध्ययन पूरा करने के बाद, उन्होंने 1893 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में न्यायालय में काम करना शुरू किया।
वहाँ उन्हें अपने समझौते और अनुभवों के आधार पर, उन्होंने जाति और धर्म से असंबंधित विवरण को आगे बढ़ाने की तकनीक सीखी और संगठित किए गए कुछ संगठनों के साथ जुड़े। यही उनकी सोच बदलने और समाज को स्वतंत्रता की तरफ ले जाने का समय था।
उन्होंने सत्याग्रह या अहिंसा के सिद्धांत का विकास किया, जो सामाजिक एवं राजनीतिक संकटों के समाधान के लिए एक शक्तिशाली और प्रभावी उपाय होता है।
महात्मा गांधी का वैवाहिक जीवन-
महात्मा गांधी का वैवाहिक जीवन उनकी अनूठी प्रेम कहानी से भरा हुआ है। उनकी शादी कस्तूरबा माखनजी से 1883 में हुई थी जो उनसे बृहस्पतिवार को झाबरपट्टी में हुई थी। गांधीजी की उम्र तब 13 वर्ष थी। वे उस समय सभी भारतीयों की तरह अपने माता-पिता के आदेशों पर शादी के बंधन में बंध गए थे।
महात्मा गांधी और कस्तूरबा की शादी एक अद्भुत रिश्ता था। इस रिश्ते में प्रेम और सम्मान एक दूसरे के प्रति समर्पण का जीवन भर का प्रतीक रहा। वे दोनों एक दूसरे की सहायता करने में सक्षम थे और एक दूसरे के साथ खुश थे। गांधीजी के दो बेटे और दो बेटियां भी थीं, जिनमें से हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास थे।
महात्मा गांधी के वैवाहिक जीवन में कई विवाद भी थे। उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने अपने पिता को उनकी स्त्री हक्क के बारे में अलग मत रखने पर उनसे बहस की थी।
महात्मा गाँधी के आन्दोलन-
महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे और उनके नेतृत्व में अनेक आन्दोलन आयोजित किए गए थे। इनमें से कुछ प्रमुख आन्दोलन हैं:
- नॉन कोऑपरेशन आन्दोलन (1919): इस आन्दोलन के दौरान गांधीजी ने लोगों से अंग्रेजी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया था। इसके फलस्वरूप भारत के व्यापक क्षेत्रों में वस्तुओं के बहिष्कार का आंदोलन चलाया गया था।
- सत्याग्रह आन्दोलन (1919-1922): इस आन्दोलन के दौरान गांधीजी ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध असंगठित रूप से संगठित होकर लड़ाई लड़ी थी। इस आन्दोलन के दौरान स्वदेशी आंदोलन भी चलाया गया था।
- खिलाफत आन्दोलन (1919-1924): इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य था कि मुसलमानों के लिए तुर्की के खिलाफत संस्थान की रक्षा की जाए।
- दण्डी मार्च और नमक सत्याग्रह (1930): इस आन्दोलन के दौरान गांधीजी ने समूचे देश में नमक का कारोबार बंद करने का आह्वान किया था।
महात्मा गाँधी की किताबें-
महात्मा गांधी की कई पुस्तकें हैं, जिनमें वह अपने विचारों और दृष्टिकोण को व्यक्त करते हैं। नीचे कुछ प्रमुख पुस्तकों का नाम दिया गया है:
- हिंद स्वराज्य
- भारतीय ग्रामीण जीवन
- सत्यार्थ प्रकाश
- हिंदी स्वराज
- भारतीय तंत्र
- नवजीवन
- बापू के पत्र-पत्रिका
- हिंदी का स्वर्णिम युग
ये कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, इसके अलावा भी बहुत सी पुस्तकें हैं जो महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई हैं।
गाँधी के समाचार पत्र-
महात्मा गांधी ने अपने जीवन के दौरान कई समाचार पत्र प्रकाशित किए थे। वे समाज के लोगों को समाज सेवा के लिए उन्हें जागरूक करने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित करने के लिए न्यूनतम खर्च में उपलब्ध थे।
उनके द्वारा प्रकाशित कुछ मुख्य समाचार पत्र हैं:
- हरीजन: यह उनका सबसे मशहूर समाचार पत्र था जो दक्षिण भारत में प्रकाशित होता था। इसमें उन्होंने स्वदेशी, स्वराज्य, स्वच्छता, आर्युवाद और ग्राम स्वराज्य जैसे मुद्दों पर लेख लिखे थे।
- यंग इंडियन: इस समाचार पत्र का उद्देश्य युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित करना था।
- नवजीवन: इस समाचार पत्र में उन्होंने स्वस्थ जीवन शैली के लिए जागरूकता फैलाने का प्रयास किया था।
- हरि भूमि: यह समाचार पत्र ग्रामीण भारत में प्रकाशित होता था और उसमें ग्रामीण विकास और ग्रामीण आर्थिक उत्थान के बारे में बताया जाता था।
महात्मा गाँधी से जुड़े विवाद-
महात्मा गांधी एक विवादित व्यक्ति भी थे। उनके विचारों व आंदोलनों पर बहुत से लोगों के पास अलग-अलग राय हैं। कुछ लोग उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता मानते हैं जबकि कुछ लोग उनके कुछ विचारों से असहमत हैं।
विवाद की एक मुख्य वजह थी उनके स्वदेशी आंदोलन का मुद्दा। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन का प्रचार करते हुए उत्पादों का बहिष्कार किया था, जो बाहर से आते थे। इससे देश के अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ और कुछ लोगों को नुकसान हुआ।
एक और विवाद उनके आंदोलनों में आंशिक अहिंसा के मुद्दे पर हुआ था। उन्होंने सत्याग्रह जैसी अहिंसक आंदोलन शुरू की, लेकिन कुछ लोगों को यह मान्यता नहीं थी कि इससे देश में तरंगें नहीं उठेंगी।
विवाद का एक और मुख्य कारण था उनके धर्मनिरपेक्ष विचारों का। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान किया और संघर्ष किया कि धर्म के नाम पर अलगाववाद नहीं होना चाहिए।
महात्मा गांधी का अंतिम संदेश-
महात्मा गांधी का अंतिम संदेश उनके सभी समर्थकों और देशवासियों के लिए था। वे 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला हाउस में अपने समर्थकों के साथ रहते हुए गोली मारकर हत्या कर दिए गए थे। उनका अंतिम संदेश था, “हे राम” जो उनके मुंह से निकला था।
उनका मृत्यु संदेश था, “मैं यह कहता हूं कि भारत के लोगों को अपने बीच की अस्पृश्यता के कारण दूर रखने के लिए मैंने कुछ नहीं छोड़ा है। अगली पीढ़ी को यह समझना होगा कि वे उन शक्तियों से नहीं डरें, जिन्हें उन्हें अपने देश में मुकाबला करना होगा। मैं इस बात से पूरी तरह संतुष्ट हूं कि मुझे एक एकल जीवन का अवसर मिला जो मैंने देश की सेवा में बिताया। जय हिंद।”
वर्तमान भारत में महात्मा गाँधी-
महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाने जाते हैं और उन्हें एक विचारधारा, संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। भारत में उनकी जयंती 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के रूप में मनाई जाती है जो राष्ट्रीय अवकाश है।
वर्तमान भारत में महात्मा गांधी की विचारधारा, संस्कृति, और आध्यात्मिकता अभी भी बहुत महत्वपूर्ण है। उनके स्वदेशी आन्दोलन, अहिंसा का सिद्धांत, सत्याग्रह आन्दोलन और समाज सुधार के लिए उनकी प्रेरणादायक भूमिका आज भी याद की जाती है। उनके आदर्शों का पालन आज भी भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है और भारत को एक एकता और शांति की दिशा में अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करता है।
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