MS Swaminathan Passed Away: हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन का आज 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सुबह 11.20 बजे अंतिम सांस ली। एम एस स्वामीनाथन की मौत का कारण उनकी बढती उम्र और स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या थीं। भारत सरकार द्वारा एम एस स्वामीनाथन को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में काम करने के साथ -साथ राजनीति में भी अहम योगदान दिया। उन्होंने धान की ऐसी किस्म को तैयार किया, जिसने भारत के कम आय वाले किसानों की आय बढ़ाई।
जानें कौन थे एम एस स्वामीनाथन:
एम. एस. स्वामीनाथन (M. S. Swaminathan) भारतीय कृषि विज्ञानी और कृषि सुधारक थे। उन्होंने भारतीय कृषि को सुधारने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। वे “हरित क्रांति” के प्रमुख संरचनाकार रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों के जीवन को सुधारना और उन्हें उच्च उत्पादकता वाले खाद्य फसलों का उत्पादन करने में मदद करना था। वह महात्मा गांधी और विक्रम सराबई के कार्यों से काफी प्रेरित थे।
उनका जन्म 7 अगस्त 1925 को ताम्बरम, मद्रास प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश इंडिया (अब चेन्नई, तमिलनाडु) में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा में विज्ञान में मास्टर्स डिग्री प्राप्त किया और फिर पीएचडी के लिए कृषि विज्ञान की पढ़ाई की। स्वामीनाथन ने हरित क्रांति के माध्यम से किसानों को नए तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे खाद्य उत्पादन में वृद्धि हुई और भारत में खाद्य सुरक्षा में सुधार हुआ।
कृषि क्षेत्र में एम एस स्वामीनाथन का योगदान :
एम. एस. स्वामीनाथन ने कृषि क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के माध्यम से भारतीय कृषि को सुधारने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने का काम किया था। उनका उद्देश्य देश के किसानों को खेती के नए आयामों से जोड़ना और उनकी आय में वृद्धि करना था। कृषि क्षेत्र में एम. एस. स्वामीनाथन के योगदान के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है:
हरित क्रांति (Green Revolution):
एम. एस. स्वामीनाथन ने हरित क्रांति के माध्यम से खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने अनुसंधान और प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने उच्च उत्पादकता वाले खाद्य फसलों के विकास के लिए नई किस्मों को तैयार किया, जिनमें खासकर खरीफ और रबी फसलों के लिए नए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग था।
खेती तकनीकियों का अध्ययन:
एम. एस. स्वामीनाथन किसानों को नई तकनीकियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें बेहतरीन खेती के तरीकों का अध्ययन करने के लिए कहा। उनका मानना था देश का विकास किसानों से जुड़ा है यदि खेती के तरीके में परिवर्तन होगा तो देश में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।
कृषि विज्ञान में अनुसंधान:
स्वामीनाथन ने कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान किया और नए तरीकों के विकास के लिए अपने अनुसंधान कार्यों में जुटे। उन्होंने खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि और फसलों के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए बीजों, खाद्य उत्पादन प्रणालियों, और कृषि तकनीकियों के प्रति अपना ध्यान दिया।
खाद्य सुरक्षा:
एम. एस. स्वामीनाथन खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए खाद्य नीतियों का विकास किया और भारत के खाद्य उत्पादन में सुधार किया।
एम एस स्वामीनाथन का राजनीति से कनेक्शन:
एम. एस. स्वामीनाथन का राजनीति से कोई ख़ास कनेक्शन नई नहीं था , लेकिन वे कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के साथ नेताओं और सरकारों से जुड़े थे। उन्होंने खाद्य सुरक्षा के मुद्दों पर सरकार को सलाह दी और किसानों के हकों की रक्षा के लिए उनके साथियों के साथ काम किया।
उन्होंने भारत सरकार के लिए कृषि मंत्री और शिक्षा मंत्री के रूप में काम किया, और खाद्य सुरक्षा, किसानों के हकों के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। वे भारत सरकार के विभिन्न समितियों और आयोगों के सदस्य भी रहे, जिनमें खाद्य सुरक्षा, कृषि विज्ञान, और किसानों के विकास से संबंधित समितियाँ शामिल हैं।
एम एस स्वामीनाथन को मिले अवार्ड:
पद्म भूषण:
एम. एस. स्वामीनाथन को भारत सरकार द्वारा 1972 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था, जो भारतीय सिविल समाज में उनके कृषि और खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान की मान्यता का प्रतीक है।
वर्ल्ड फूड प्राइज:
एम. एस. स्वामीनाथन को 1987 में वर्ल्ड फूड प्राइज से सम्मानित किया गया, जो विश्व खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण संगठनों और व्यक्तियों को मान्यता देता है।
भास्कर अवार्ड: एम. एस. स्वामीनाथन को 1989 में भास्कर अवार्ड से सम्मानित किया गया, जो खेती और कृषि विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्तियों को मान्यता देता है।
ग्लोबल 500 रोल मॉडल:
एम. एस. स्वामीनाथन को ग्लोबल 500 रोल मॉडल अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया था, जो विश्व भर के प्रेरणा स्त्रोतों को प्रकट करता है और उनके कार्यों को मान्यता देता है।
नानजी देसमुख अवार्ड:
एम. एस. स्वामीनाथन को नानजी देसमुख अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था , जो कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्तियों को प्रमोट करता है।
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