ईश्वर हर जगह है। ईश्वर संसार का कल्याण करता है। संसार मे रहने वाला प्रत्येक जीव ईश्वर की रचना है। ईश्वर ने सभी को समान प्रेम और मेहनत से बनाया है। ईश्वर हर अगर किसी दुख और सुख उसके कल्याण के लिए देता है। प्रत्येक व्यक्ति को जो भी इस संसार मे प्राप्त हुआ है वह उसके अनुकूल है। लेकिन धरा पर रहने वाला जीव ईश्वर के साथ स्वार्थ साधता है। अगर कोई ईश्वर की आराधना करता है ईश्वर के सामने मस्तक टेकता है तो इसमें उसका अपना हित होता है।
वहीं अगर इस संसार मे कोई मंत्रों का जाप करता है। रोजाना ईश्वर के सामने बैठ पर मंत्रोच्चार करता है तो वह जिस मंत्र का जाप करता है उसमें उसका लाभ निहित है। क्योंकि मंत्रों का जाप लाभ को परिभाषित करता है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक मंत्रों के कई प्रकार है। व्यक्ति अपने कार्य के मुताबिक मंत्र पढ़ता है। कोई वैदिक मंत्र , तांत्रोदय मंत्र, पौराणिक मंत्र, अलौकिक मंत्र आदि अपने स्वार्थ के लिए पढ़ता है।
इस संसार में दैत्य, देव, किन्नर, स्त्री, पुरूष, युवा, बच्चे, कीड़े मकोड़े आदि सब अपने स्वार्थ के लिए मंत्रों का जाप करते हैं। कोई धन प्राप्ति के लिए ईश्वर का जाप करता है। कोई सुख के लिए, कोई विवाह के लिए, कोई आहार के लिए, कोई पुत्र के लिए, कोई विवाह के लिए लोग अलग-अलग अनुष्ठान के लिए अलग – अलग मंत्रों का जप करते हैं और स्वयं को ईश्वर का दास बताते हैं।
लोग इतने लोभी हैं कि वह हर उस व्यक्ति पर विश्वास कर लेते हैं जो माथे पर तिलक लगाएं है। गले मे माला पहने है और भगवा वस्त्र धारण किए है। लोगों को लगता है उनके द्वारा बताया मार्ग उनका कल्याण करेगा और ईश्वर ने जो उनके भाग्य में लिखा है उसे बदल देगा। लेकिन लोग ज्ञान के बाद भी मूर्ख होते हैं। क्योंकि उनका निर्माण ईश्वर ने किया है। ईश्वर उनके कृतधर्ता हैं। ईश्वर किसी को मांगने से नहीं अपितु उसकी जरूरत के आधार पर उसे वस्तु मुहैया करवाता है।
लेकिन लोभी मनुष्य अधिक की अभिलाषा में मंत्रों का गलत उपयोग करते हैं। स्वार्थ के लिए ईश्वर के साथ ठगी करते हैं और ईश्वर को अपने हित के लिए याद रखते हैं।
आध्यत्मिक ज्ञान के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति निस्वार्थ भाव से ईश्वर का ध्यान करता है। ईश्वर की नित्य सेवा में लगा रहता है। स्वयं को ईश्वर का दास मनाता है। वह मंत्रों का जाप नहीं करता अपितु ईश्वर की बखान करता है। ईश्वर उसपर सहाय होते हैं और उसके बिना मांगे ही उसपर अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
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