भारतीय संविधान की प्रस्तावन संविधान की रीढ़ कही जाती है। प्रस्तावना को संविधान में वर्ष 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित कर तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था। प्रस्तावना, भारत के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करती है और लोगों के बीच भाई चारे को बढावा देती है।
वहीं प्रस्तावना की कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछी जाती है।
संविधान की प्रस्तावना जिसे संविधान की कुंजी भी कहा जाता है।
प्रस्तावना के मुताबिक भारत में सर्वशक्तिमान भारत के लोग हैं।
प्रस्तावना में न्यायपालिका द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। (निर्णय- यूनियन ऑफ़ इण्डिया बनाम मदन गोपाल 1957)
जिस जगह संविधान की भाषा संदिग्ध हो वहां प्रस्तावना विधि निर्माण में अमुख भूमिका निभाती है।
प्रस्तावना में 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित कर तीन नए शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता को जोड़ा गया था।
संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मूल तत्वों का उल्लेख है।
संविधान की प्रस्तावना – व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करती है।