यौन अपराध क्या है –
यौन अपराध एक अपराध है जो किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना यौन रूप से उत्पीड़ित करता है। ये अपराध अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे कि बलात्कार, स्त्री हत्या, यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, सामूहिक बलात्कार, समलैंगिक यौन अपराध आदि।
ये अपराध बहुत घोर होते हैं और जब ये किसी व्यक्ति के साथ होते हैं तो वह उसके जीवन और अधिकारों को धकेलते हैं। ये अपराध बहुत लंबे समय तक शिकायत करने में असफल रहते हैं या फिर दबाव बनाकर रखने के लिए उन्हें छिपाया जाता है। इसलिए, यौन अपराध को रोकने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई और संज्ञानवर्धन की आवश्यकता होती है।
भारतीय संविधान में यौन अपराधों के मामले को लेकर निम्नलिखित प्रावधान हैं-
- संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत, समानता का अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के संघर्ष करने और सभी अवसरों को बराबर तरीके से उपयोग करने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 15 के तहत, संघर्ष की स्थिति से बचाव के लिए, सभी नागरिकों को धार्मिक और सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी भेदभाव के बिना समान अधिकार होने चाहिए।
- धारा 19 (1) (ग) के तहत, संविधान के न्यायिक अधिकारियों को समस्त नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।
- भारतीय दंड संहिता 1860 में, यौन उत्पीड़न, बलात्कार और अन्य यौन अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 21 के तहत, सभी नागरिकों को जीवन, स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का अधिकार होता है। इसमें यौन अपराधों से बचाव का भी उल्लेख होता है।
भारत में यौन अपराध-
भारत में यौन अपराध एक बड़ी समस्या है। विभिन्न रिपोर्टों और अध्ययनों से पता चलता है कि यहां यौन अपराधों की संख्या बहुत अधिक है। यह अपराध सभी आयु वर्ग के लोगों के साथ होता है, लेकिन मुख्य रूप से युवाओं और बच्चों के साथ होता है।
भारत में यौन अपराधों की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है जिसका मुख्य कारण समाज में इससे जुड़ी टेबू होना है। अक्सर इसे छिपाया जाता है या शिकायत करने से डरा दिया जाता है।
भारत में यौन अपराधों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सख्त कानून बनाए गए हैं और न्यायपालिका में विशेष अदालतें बनाई गई हैं जो इन मामलों को सुनती हैं। साथ ही साथ, जनता को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं जो लोगों को यौन अपराधों से बचने के तरीकों के बारे में बताते हैं।
भारत में यौन अपराध का आकड़ा-
भारत में यौन अपराध का आकड़ा बहुत चिंताजनक है। अधिकतर यौन अपराध रिपोर्ट किए जाने से पहले ही छिपा लिए जाते हैं या पुलिस द्वारा गलत तरीके से दर्ज किए जाते हैं। इसके बावजूद, कुछ अध्ययनों ने यह दावा किया है कि भारत में हर 15 मिनट में एक यौन अपराध हो रहा है।
कुछ अन्य आंकड़ों के अनुसार, 2019 में भारत में 3,78,236 मामले दर्ज किए गए थे, जो बहुत कम हो सकते हैं क्योंकि बहुत से मामले छिपाए जाते हैं। इनमें से 32,033 मामले बच्चों के साथ हुए थे। इसके अलावा, यौन उत्पीड़न और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के भी कई मामले हुए हैं।
यह समस्या बहुत गंभीर है और समाज में इसे रोकने के लिए जनता को जागरूक करना और सक्षम बनाना बहुत जरूरी है। सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए और भी सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है ताकि यह समस्या समाप्त हो सके।
भारत में यौन अपराध की सजा-
भारत में यौन अपराध के लिए कई कानून बनाए गए हैं जो इस तरह हैं:
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 – यह एक पुराना कानून है जिसमें यौन अपराध के लिए सजा निर्धारित की गई है। इसमें यौन उत्पीड़न, बाल उत्पीड़न, रेप और संभोग बलात्कार के लिए जेल की सजा होती है।
विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों (प्रतिबंधित) अधिनियम, 2019 – यह एक नया कानून है जो शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले यौन उत्पीड़न के लिए सजा निर्धारित करता है। इसमें छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए सजा निर्धारित की जाती है।
बालक और बालिका (संरक्षण) अधिनियम, 2012 – यह अधिनियम बच्चों के साथ होने वाले सभी अपराधों के लिए सजा निर्धारित करता है। इसमें बच्चों के साथ संभोग बलात्कार और बाल उत्पीड़न के लिए जेल की सजा होती है।
संज्ञानाधिन अधिनियम, 2012 – यह अधिनियम सभी यौन अपराधों के लिए सजा निर्धारित की गई है।