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भारतीय संविधान सभा का गठन-

संविधान भारत का मूल आधार है। यह सभी को समाज मे सर उठाकर जीने और अपने अधिकारों के लिए लड़के की ताकत प्रदान करता है। वहीं आज हम आपको संविधान सभा के गठन के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।

संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन की स्तुतियों के आधार पर जुलाई 1946 में किया गया था। हालाकि संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव स्वराज्य पार्टी द्वारा 1924 में ही प्रस्तुत कर दिया गया था।

संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 निर्धारित की गई थी। जिसमे 292 ब्रिटिश प्रान्तों के प्रतिनिधि थे। 93 देशी रियायतों के सदस्य थे। 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रो के प्रतिनिधि थे। संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव अलग-अलग विधानसभाओं द्वारा किया गया था।

इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 वां स्थान मिला। इसके साथ ही 15 अन्य दलों से स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे। संविधान सभा मे कुल महिलाओं की संख्या 15 थी। इसमें एक मात्र मुस्लिम महिला बेगम एजाज रसूल थीं।

संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष डॉ सचिदानंद सिन्हा चुने गए थे। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 में दिल्ली में स्थित कैंसिल चैंबर पुस्तकालय में हुई थी। इस बैठक के विरोध में मुस्लिम लीग खड़ी हुई और यहीं से मुस्लिम देश पाकिस्तान की मांग उठी। मुस्लिम लीग ने डिमांड की मुस्लिम समाज के लिए अलग देश का गठन होना चाहिए। जो पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है।

संविधान सभा में जहां कई देशी रियासतों ने भाग लिया। वहीं हैदराबाद एक मात्र ऐसी देशी रियासत थी जिसने संविधान सभा का प्रतिनिधित्व नहीं किया था। संविधान सभा मे अनुचित जाति के सदस्यों की संख्या 33 थी। सामान्य 213, मुसलमान 79, सिक्ख 4 और 15 महिलाएं थीं।

11 दिसम्बर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को सर्वसम्मति से संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया। 13 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा की कार्यवाही पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किए गए उद्देश्य के साथ आरम्भ हुई।

29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति का गठन किया गया। प्रारूप समिति का अध्यक्ष भीम राव अंबेडकर को बनाया गया। प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या 7 थी।

इसमें डॉ भीम राव अंबेडकर( प्रारूप समिति के अध्यक्ष)
एन गोपाल स्वामी अयंगर
अल्लादी कृष्ण स्वामी अय्यर
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
सैय्यद मुहम्मद सादुल्ला
एन माधव राव
डी० पी० खेतान शामिल थे।

डी० पी० खेतान की 1948 में मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु के बाद टी०टी० कृष्णमंचारी को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया।

संविधान सभा में अंबेडकर का निर्वाचन पहले बंगाल से हुआ। लेकिन विभाजन के बाद इनकी नियुक्ति बॉम्बे से की गई। 7 जून 1947 की योजना के अनुसार जब देश विभक्त हो गया। तो संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 324 निर्धारित की गई। जिसमे 235 प्रान्तों के लिए और 89 स्थान देशी राज्यों के लिए थे।

देश विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन किया गया। इसबार संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 299 थी। इसमें 299 प्रांतीय सदस्य, 70 देशी रियासतों के सदस्य थे। 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा ने काफी विचार-,विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

संविधान सभा का पहला वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर 1948 तक चला। दूसरा वाचन 15 नवम्बर 1948 से शुरू हुआ। जो 17 अक्टूबर 1949 तक चला। तीसरा वाचन 14 नवम्बर से 26 नवंबर 1949 तक चला। इसी समय संविधान सभा ने संविधान पारित किया और 26 नवम्बर 1950 को देश का संविधान लागू हुआ।