Bhagat Singh History in Hindi-
महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं। भगत सिंह बेहद सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उनका एकमात्र उद्देश्य देश को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र करवाना और समाज मे फैली कुरीतियों का नाश करना था। भगत सिंह ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करने में गुजार दिया था। वहीं अपने साहस से ब्रिटिश शासन को कांटे की टक्कर दी। भगत सिंह को अंग्रेजी हुकूमत का खुला विरोधी माना जाता था।
निजी जीवन-
भगत सिंह का जन्म 27 सिंतम्बर 1907 को सिख परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह था। जो एक किसान थे। भगत सिंह की माता का नाम विद्यावती कौर था। यह अमृतसर के रहने वाले थे। बचपन से ही यह समाज कल्याण के लिए सोचते थे।
जब 1919 मे जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ तो इससे भगत सिंह की रूह कांप गई और इन्होंने देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलाने का संकल्प लिया। यह उस समय लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। इस घटना के बाद भगत सिंह ने पढाई छोड़ दी और आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की और अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
1921 में पढ़ाई छोड़ने के बाद भगत सिंह ने महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। चौरा चोरी कांड में जब हिंसा हुई तो महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया। लेकिन भगत सिंह अपने इरादे से पीछे नहीं हटे। उन्होंने आंदोलन जारी रखा। भगत सिंह की सोच महात्मा गांधी ने बिल्कुल नहीं मिलती थी। महात्मा गांधी अहिंसा वादी विचारधारा के थे लेकिन भगत सिंह का उद्देश्य स्पष्ट था वह किसी भी मार्ग को अपना कर अंग्रेजी हुकूमत से देश को आजादी दिलाना चाहते थे।
कई लोगों का कहना था कि भगत सिंह नास्तिक विचार वाले व्यक्ति थे। उनका शादी से कोई मतलब नहीं था। एक बार जब उनके घर वालों ने उनके सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इनकार कर दिया। भगत सिंह का कहना था शादी उनके जीवन का उद्देश्य नहीं है उनके जीवन का उद्देश्य देश को गुलामी से मुक्ति दिलाना है।
भगत सिंह ने नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। इन्होंने कीर्ति नामक पत्रिका में काम किया था। इस पत्रिका में भगत सिंह के क्रांतिकारी लेखों का प्रतिपादन होता था। 1928 में भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोशिएशन का हिस्सा बने।
1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो भगत ने इसका जमकर विरोध किया। इसके विरोध का कारण इनमें किसी भी भारतीय सदस्य का नही होना था। साइमन कमीशन के विरोध में एक मोर्चा निकाला गया। इसका प्रतिनिधित्व लाललाजपत राय ने किया था। अंग्रेजों ने इस मोर्चे पर लाठीचार्ज करवाया और लाललाजपत राय गम्भीर रूप से घायल हुए और उनकी मौत हो गई।
लाललाजपत राय की मौत से भगत सिंह टूट गए। भगत सिंह ने अंग्रेजी अफसर स्कॉट को मारने का निश्चय किया। लेकिन गलती से भगत सिंह ने स्कॉट की जगह किसी अन्य अफसर को मार दिया। भगत सिंह ने लाहौर छोड़ दिया। अंग्रेजों ने भारत मे एक नया अध्यादेश लाया “डिफेंस ऑफ इंडिया एक्ट” इस अधिकार में पुलिस को शक्तिशाली बनाया गया। पुलिस किसी को भी बिना वारेंट गिरफ्तार करने के लिए स्वतंत्र थी।
इस एक्ट का भगत सिंह ने विरोध किया। भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेंबली में बम गिराया। बम गिरते ही वहां इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। बम फेंकने के आरोपी में पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई। जब भगत को फांसी दी गई तब उनकी उम्र महज 23 वर्ष थी। भगत की मौत ने भारत के ह्रदय में आजादी की आग जला दी और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के नेतृत्व में 15 अगस्त 1949 को भारत आजाद हो गया।