उत्तरप्रदेश के जिला बनारस में स्थित है शिव का भव मंदिर इस मंदिर को लोग काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं। काशी उत्तरप्रदेश का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। काशी का इतिहास 3 हजार वर्ष से पुराना है। काशी को वर्तमान में लोग बनारस के नाम से जानते हैं।
देश विदेश से लोग काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। काशी में 200 से अधिक मंदिरों का सामन्जय है। कहते हैं जो व्यक्ति काशी जाकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। काशी में होने वाली गंगा आरती का विशेष महत्व है। काशी में भव्य गंगा आरती होती है और आरती के दौरान लोगों का जन सैलाब उमड़ता है।
काशी का इतिहास-
काशी को वर्तमान में वाराणसी के नाम से जाना जाता है। कई लोग काशी को आनंद कानन, महाश्मशान, सुदर्शन और त्रिलोकी धाम के नाम से जानते हैं। यहां गंगा की दो सहायक नदियां वरुणा और असी का समागम हुआ है। धर्म ग्रंथो के मुताबिक काशी का निर्माण भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर किया है। जब सम्पूर्ण ब्रह्मण्ड में प्रलय आता है तो भी काशी रहती है। क्योंकि काशी के निर्माता ब्रह्मा जी नहीं हैं और प्रलय का प्रकोप सिर्फ ब्रह्म की बनाई दुनिया पर होता है।
कहते हैं अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु काशी में हो जाती है तो वह कितना भी पापी क्यों न हो उसे शिव के गढ़ कैलाश ले जाते हैं और उसे बार-बार जीवन मृत्यु के जंजाल से नहीं झुंझना पड़ता है।
काशी से आर्यों का कनेक्शन-
इतिहास के मुताबिक काशी आर्यो का प्रमुख गढ़ रहा है। जब आर्यो का देश पर राज था तो काशी का बहुमुखी विकास हुआ। काशी के नजदीक स्थित सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। चीनी यात्री हुआन त्साग ने 635 में काशी की यात्रा की थी। चीनी यात्री को काशी का अदभुत नजारा काफी पसंद आया था। जब कोई व्यक्ति काशी घूमने आता है तो वह सारनाथ घूमने जरूर जाता है।
काशी के प्रसिद्ध मंदिर और घाटों की संख्या-
आज के समय मे काशी पर्यटन का हब बन गया है। देश-विदेश से लोग काशी में भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए आते हैं। काशी में भगवान शिव का भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर है जो दर्शकों को खूब लुभाता है। बाबा विश्वनाथ के मंदिर के अलावा काशी में दुर्गा कुंड, बिरला मंदिर, संकट मोचन मंदिर काफी विख्यात है।
यहां 84 घाट हैं। जो बेहद मनमोहक हैं। वाराणसी एक मात्र राज्य है जिसमे नदी किनारे सबसे अधिक घाट हैं। बनारस के अस्सी घाट, मणिकर्णिका घाट काफी लोकप्रिय हैं। मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार के लोगे लोग अलग-अलग राज्यों से लाए जाते हैं।
बनारस में अश्वमेघ घाट पर होने वाले मेढ़क विवाह की अलग ही लोकप्रियता है। यह विवाह पुजारियों द्वारा विधि-विधान से बारिश के मौसम में करवाए जाते हैं। इस विवाह को देखने के लिए लाखों लोग बरसात के मौसम में वाराणसी में एकत्रित होते हैं।